प्रेरणादायक :-....by......AJIT PANDEY
साल 2002 । जून की गर्मी से उबलता राजस्थान । कोटा शहर में भी बहुत उथल-पुथल थी । उथल पुथल इसलिए क्योंकि IIT का रिजल्ट घोषित होने था । कोटा जो मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए मशहूर एजुकेशन हब बन चुका था इस बार भी अपने यंहा से ही टॉपर की बाट जोह रहा था ।.
दोपहर की गर्मी में बंसल क्लासेज ( IIT कोचिंग के लिए जाना पहचान नाम ) में सभी बेसब्री से IIT-JEE 2002 के परिणाम का इंतजार कर रहे थे । सभी छात्र एवं शिक्षक टकटकी लगाकर घड़ी की तरफ देख रहे थे । प्रार्थनाओं और ईश्वर को याद करने का दौर शुरू हो चुका था ।
शाम के 5 बजते ही परिणाम घोषित हुआ और बंसल क्लासेज ने एक बार फिर सफलता के नए आयाम स्थापित किये और लगभग 2000 के आसपास विद्यार्थी परीक्षा पास कर चुके थे । बंसल क्लासेज को पूरी उम्मीद थी कि इस बार भी टॉपर उनके यही से निकलेगा लेकिन टॉपर का नाम देख बंसल क्लासेस के मैनेजमेंट और स्टूडेंट्स में निराशा छा गयी । IIT-JEE 2002 की इस बार की सूची में नम्बर 1 यानी टॉपर की जगह पर नाम था डूंगरा राम चौधरी का । डूंगराराम चौधरी निवासी जालोर,राजस्थान ।
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उस समय टेक्नोलॉजी और तकनीक का इतना प्रभाव नहीं था कि डेटाबेस से एक सर्च से सारा रिकॉर्ड खंगाला जा सके । बंसल क्लासेज में अपनी एक व्यवस्था है । सबसे इंटेलीजेंट स्टूडेंट्स को वे अपने प्रीमियम बैच में रखते है, जिसमे विशेषज्ञ उन स्टूडेंट्स पर विशेष मेहनत करते है ।यह प्रीमियम बैच ही मेरिट लिस्ट में ऊपर के स्थान पर कब्जा करते है । बाकी सामान्य और ग्रामीण परिवेश से आनेवालों के लिए जनरल बैच बनते है जिन पर संस्थान ज्यादा ध्यान नही देता । वे सिर्फ धन उपलब्ध करवाने वाले होते है, उनसे विशेष उम्मीद भी नही होती । तो बंसल क्लासेस के मैनेजमेंट ने उस दिन अपने सभी टॉपर बैच में पड़ताल की लेकिन यह नाम नहीं मिला तो उन्होंने मान लिया कि इस बार टॉपर कोई और जगह से बना । थोड़ी देर बाद पता चला कि चोटी के अन्य कोचिंग संस्थानों में भी इस टॉपर का नाम नही है ।चारो तरफ अफवाहों का दौर गर्म हो गया क्योंकि अगर टॉपर बंसल क्लासेज या करियर पॉइंट और रेजोनेंस से नहीं बना तो फिर कहाँ से बना ?
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रिजल्ट के 2 घंटे बाद शाम को 7 बजे के आसपास एक 18 वर्ष का बेहद सामान्य से दिखने वाला दुबला पतला चश्मा लगाया विद्यार्थी बंसल क्लासेज के डायरेक्टर रूम में जाता है और पांव छूकर कहता है कि "सर मेने IIT टॉप कर लिया है ।"
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उस समय टेक्नोलॉजी और तकनीक का इतना प्रभाव नहीं था कि डेटाबेस से एक सर्च से सारा रिकॉर्ड खंगाला जा सके । बंसल क्लासेज में अपनी एक व्यवस्था है । सबसे इंटेलीजेंट स्टूडेंट्स को वे अपने प्रीमियम बैच में रखते है, जिसमे विशेषज्ञ उन स्टूडेंट्स पर विशेष मेहनत करते है ।यह प्रीमियम बैच ही मेरिट लिस्ट में ऊपर के स्थान पर कब्जा करते है । बाकी सामान्य और ग्रामीण परिवेश से आनेवालों के लिए जनरल बैच बनते है जिन पर संस्थान ज्यादा ध्यान नही देता । वे सिर्फ धन उपलब्ध करवाने वाले होते है, उनसे विशेष उम्मीद भी नही होती । तो बंसल क्लासेस के मैनेजमेंट ने उस दिन अपने सभी टॉपर बैच में पड़ताल की लेकिन यह नाम नहीं मिला तो उन्होंने मान लिया कि इस बार टॉपर कोई और जगह से बना । थोड़ी देर बाद पता चला कि चोटी के अन्य कोचिंग संस्थानों में भी इस टॉपर का नाम नही है ।चारो तरफ अफवाहों का दौर गर्म हो गया क्योंकि अगर टॉपर बंसल क्लासेज या करियर पॉइंट और रेजोनेंस से नहीं बना तो फिर कहाँ से बना ?
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रिजल्ट के 2 घंटे बाद शाम को 7 बजे के आसपास एक 18 वर्ष का बेहद सामान्य से दिखने वाला दुबला पतला चश्मा लगाया विद्यार्थी बंसल क्लासेज के डायरेक्टर रूम में जाता है और पांव छूकर कहता है कि "सर मेने IIT टॉप कर लिया है ।"
उस वक्त तक उस विद्यार्थी को उसके बैच के कुछ साथियों के अलावा कोई नहीं जानता था । डाइरेक्टर साहब अवाक रह जाते है । पूरा मैनेजमेंट और स्टाफ हैरान हो जाता है कि जिसे हम जानते तक नही , उस सामान्य स्टूडेंट्स की भीड़ में से यह कौन टॉपर आ गया?
तुरंत पेपर्स खंगाले जाते है । पता चलता है कि यह चौधरी साहब पश्चिमी राजास्थान में मारवाड़ के सुदूर जिले जालोर से बंसल क्लासेस में पढ़ने आये थे ।अंग्रेजी में कमजोर होने के कारण बंसल क्लासेस की तकनीकी कमेटी उनकी प्रतिभा को पहचान नही पाई और उन्हें प्रीमियम बैच में स्थान नही मिल पाया । लेकिन अब रिजल्ट की शाम वो ग्रामीण हिंदी माध्यम का लड़का एक स्टार सेलिब्रिटी बन चुका था। अगले दिन हर न्यूज़ पेपर में उसकी फोटो छपी और उसके नाम व फोटो के बैनर/फलेक्सेस पूरे कोटा शहर में छा चुके थे । बंसल क्लासेज ने एक बार फिर IIT-JEE की टॉप रैंक कब्जे में लेकर अपनी उपयोगिता साबित कर दी थी । डूंगरा राम चौधरी अब बंसल क्लासेस की शान बन चुका था ।
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अब डूंगराराम की कहानी हर कोई जानना चाह रहा था ।राजस्थान के जालोर जिले के एक गांव से आने वाले डूंगरा राम चौधरी ने अपनी मेहनत और लगन से देश के प्रतिष्ठित एग्जाम में टॉप किया। जालोर के किसान परिवार से आने वाले डूंगरा राम ने शुरुआती पढाई अपने गांव से करने के बाद जालोर शहर की तरफ आगे की पढाई के लिए रुख किया । 12 वी पास करने के बाद IIT-JEE की तैयारी के लिए 1 साल का गैप लिया और पहुंच गए कोटा अपनी किस्मत आजमाने । एक सामान्य विद्यार्थी के रूप में साल भर पढाई करने वाले डूंगरा राम ने अपनी प्रतिभा का लोहा टॉपर बनकर मनवा लिया ।
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अब डूंगराराम की कहानी हर कोई जानना चाह रहा था ।राजस्थान के जालोर जिले के एक गांव से आने वाले डूंगरा राम चौधरी ने अपनी मेहनत और लगन से देश के प्रतिष्ठित एग्जाम में टॉप किया। जालोर के किसान परिवार से आने वाले डूंगरा राम ने शुरुआती पढाई अपने गांव से करने के बाद जालोर शहर की तरफ आगे की पढाई के लिए रुख किया । 12 वी पास करने के बाद IIT-JEE की तैयारी के लिए 1 साल का गैप लिया और पहुंच गए कोटा अपनी किस्मत आजमाने । एक सामान्य विद्यार्थी के रूप में साल भर पढाई करने वाले डूंगरा राम ने अपनी प्रतिभा का लोहा टॉपर बनकर मनवा लिया ।
IIT-JEE में टॉप करने के बाद डूंगरा राम ने IIT कानपुर में कंप्यूटर इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और वहाँ पर भी अपने बैच के टॉपर रहे । हिंदी माध्यम से पढ़कर IIT टॉप करके IIT कानपूर जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला लेना डूंगरा राम के लिए किसी सपने के सच होने जैसा साबित हुआ ।
इंजीनियरिंग के बाद डूंगरा राम ने AirTight Netorks नाम की कंपनी में अपना करियर शुरू किया और लगभग 2 वर्ष वहां काम करने के बाद Oracle में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में पिछले 11 वर्ष से काम कर रहे है । Oracle में वो आधुनिक तकनीक जैसे क्लाउड कंप्यूटिंग और क्लस्टरिंग जैसे प्लेटफार्म पर काम कर रहे है । वो अब तक 2 रिसर्च पेपर एवं एक पेटेंट पब्लिश कर चुके है और वर्तमान में कैलिफोर्निया में अपने परिवार के साथ रह रहे है ।
AJIT PANDEY |
जालोर के छोटे से गांव से कैलिफोर्निया तक का सफर डूंगरा राम के लिए बहुत ही रोमांचक और संघर्षपूर्ण रहा है लेकिन डूंगरा राम ने अपनी लगन और मेहनत से हर बड़े लक्ष्य और मुसीबत को अपने सामने बौना साबित कर दिया है ।
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आज 15 साल बाद बंसल क्लासेस भी इस अनुपम उपलब्धि पर अपने यंहा स्कालरशिप प्रोग्राम उनके नाम पर चलाती है । फोटो में डूंगराराम चौधरी अपने पिता के साथ । ध्यान रखिये प्रतिभा को कान्वेंट, अंग्रेजी या बड़े शहर की दरकार नही होती । अपने हुनर पर भरोसा रखें । सफलता अवश्य मिलेगी ।
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आज 15 साल बाद बंसल क्लासेस भी इस अनुपम उपलब्धि पर अपने यंहा स्कालरशिप प्रोग्राम उनके नाम पर चलाती है । फोटो में डूंगराराम चौधरी अपने पिता के साथ । ध्यान रखिये प्रतिभा को कान्वेंट, अंग्रेजी या बड़े शहर की दरकार नही होती । अपने हुनर पर भरोसा रखें । सफलता अवश्य मिलेगी ।
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