आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू का भोग चढ़ाने की परंपरा है। इस भोग को श्रीवारी कहा जाता हैं। यहाँ ऐसा माना जाता है कि यह भोग चढ़ाए बीना दर्शन पूरे नहीं होते है। इस भोग की विशेष बात यह है कि ये लड्डू केवल पुंगनूर नस्ल की गाय के दूध से बने मावे/खोये से तैयार किये जाते हैं। परंतु, समस्या यह है कि इस नस्ल की गायों की संख्या में बहुत तेज़ी से गिरावट आ रही है, वर्तमान में इस नस्ल की बहुत कम गाय ही बची है। ऐसे में भोग की इस परंपरा को लेकर चिंता की स्थिति बन गई है।
- मुख्य समस्या यह है कि इस विशेष प्रकार की नस्ल की वंशवृद्धि नहीं हो पा रही है। वर्तमान में आंध्र प्रदेश में केवल 130 गाय ही बची है।
- इस समस्या की गंभीरता पर विचार करते हुए बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के पशु चिकित्सकों के साथ मिलकर आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा सरोगेसी तकनीक के माध्यम से पुंगनूर गाय की वंशवृद्धि करने का प्रयास किया जा रहा है।
- सरोगेसी तकनीक में परखनली विधि से नर-मादा (डोनर) के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल कराकर भ्रूण को किसी अन्य कोख (सरोगेट मदर) में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
- पुंगनूर नस्ल को डोनर के रूप में इस्तेमाल करते हुए पोंगुल नस्ल की गाय को सरोगेट माँ बनाया गया।
- विशेष बात यह है कि इस तकनीक से उत्पन्न हुए बच्चे में पुंगनूर (डोनर) के शत-प्रतिशत गुणसूत्र पाए गए हैं। इस तकनीक की सहायता से अभी तक पुंगनूर नस्ल की 20 बछिया पैदा की जा चुकी हैं।
गैनीमीड पर तूफानी पर्यावरण---AJIT PáNDEY....✔️✔️
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान ‘गैलीलियो’ से प्राप्त डेटा में बृहस्पति के चंद्रमा गैनीमीड पर तूफानी पर्यावरण की जानकारी मिली है। 1995-2003 की अवधि के मध्य गैलीलियो प्रोब को ब्रहस्पति ग्रह की कक्षा में भेजा गया था। इसके बाद ब्रहस्पति ग्रह की परिक्रमा करने के लिये जूनो नामक अंतरिक्ष यान को भेजा गया।
- ‘गैलीलियो’ ने बृहस्पति की परिक्रमा करते हुए आठ वर्ष बिताए हैं। गैलीलियो ने बृहस्पति के चंद्रमा के विषय में कई महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। इससे प्राप्त नए डेटा में गैनीमीड के वातावरण के विषय में जानकारी प्राप्त हुई है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से इस रहस्य को सुलझाने में मदद मिलेगी कि गैनीमीड का सूर्योदय इतना चमकदार क्यों होता है।
बृहस्पति ग्रह
- बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसके अब तक 67 उपग्रह ज्ञात हैं, जो सौरमंडल के अन्य ग्रहों की तुलना में सबसे अधिक हैं।
- ‘गैनीमीड’ बृहस्पति का सबसे बड़ा उपग्रह है। उल्लेखनीय है कि बृहस्पति को लघु सौर तंत्र कहा जाता है। इसके पास स्वयं की रेडियो ऊर्जा है।
- वृत्तीय प्रकाश (Circular light), अंधेरी पट्टी (Dark band) और बारह उपग्रहों द्वारा वृत्तीय रूप से घिरे रहना बृहस्पति की अद्वितीय विशेषताएँ हैं। बृहस्पति की ये विशेषताएँ उसे अन्य ग्रहों से विभेदित करती हैं।.
केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप के कारण
प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन।
(खंड-1 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)संदर्भ
लगभग दो हफ्ते पहले अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत के केंद्रीय बैंक द्वारा लगातार किये जा रहे विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप का हवाला देते हुए भारत को अपनी ‘निगरानी सूची’ में जोड़ दिया है, जिसके अंतर्गत अमेरिका द्वारा भारतीय आर्थिक नीतियों और विदेशी मुद्रा विनिमय पर नज़र रखी जाएगी। इससे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पिछले कुछ वर्षों से किये जा रहे विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप की आलोचना की जा रही है। हालाँकि, इसे आरबीआई की बफर रिज़र्व तैयार करने की नीति का भाग माना जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- हाल के दिनों में विदेशी निवेशकों ने उभरते बाज़ारों से धन निकालना शुरू कर दिया है। इससे भारत पर बड़ा प्रभाव पड़ा है और भारतीय रुपया 14 माह के निचले स्तर के करीब है।
- ऐसे समय में जब भारत के चालू खाता घाटे में वृद्धि के साथ ही मुद्रा बाज़ार में कमजोरी बने रहने की संभावना है, तब केंद्रीय बैंक द्वारा तैयार किया जा रहा यह बफर रिजर्व रुपए में खुली गिरावट को रोकने का काम करेगा।
- वर्ष 2013 में भी ऐसा ही देखने को मिला था, जब उभरते बाज़ारों से बड़ी मात्रा में धन निकाला गया था और भारत इससे बहुत प्रभावित हुआ था।
- भारत उस समय इंडोनेशिया, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और ब्राज़ील के साथ उन पाँच उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल था, जो इस धन प्रवाह से सर्वाधिक प्रभावित हुई थीं।
- उस छोटे संकट से यह सीख मिली कि हमें अपने आयात कवर को बढ़ाना होगा ताकि भविष्य में ऐसे संकटों से बचा जा सके। परिणामस्वरूप, भारत के बाह्य भेद्यता संकेतक (external vulnerability indicators) 2013 की तुलना में आज काफी मज़बूत दिखते हैं।
- भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब $424 बिलियन है, जो 2013 के 6 महीने की तुलना में लगभग 10 महीने का आयात कवर प्रदान करता है।
- संकट के समय मुद्रा हस्तक्षेप की आवश्यकता विदेशी मुद्रा भंडार के निर्माण के महत्त्व को रेखांकित करती है। 1997 के एशियाई संकट के चलते ये सबक उभरते बाज़ारों द्वारा सीखे गए थे।
- उस समय अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा प्रभावित देशों को इस संकट से बाहर निकालने के एवज़ में कड़ी शर्तें आरोपित की गई थीं, जिससे उन देशों को भविष्य में इस तरह के अपमान से बचने के उपाय तैयार करने की आवश्यकता महसूस हुई।
- चीन जैसे उभरते बाज़ारों ने चालू खाता अधिशेष द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार जमा किये हैं, जबकि भारत में यह भंडार पूंजी आगतों के कारण जमा हुआ है।
- भारत का कुल बाह्य ऋण आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार से अधिक है, जबकि चीन के मामले में, यह उसके केंद्रीय बैंक द्वारा रखे गए भंडार के आधे से भी कम है। इस प्रकार, इस पर चीन के साथ भी कोई तुलना नहीं हो सकती है।
- यह भी ध्यान देने योग्य है कि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के कई केंद्रीय बैंकों की गैर-परंपरागत मौद्रिक नीतियाँ मुद्रा बाज़ारों को विकृत करती हैं।
- अमेरिकी फेडरल बैंक और यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा चलाए गए बड़े पैमाने के बॉण्ड-खरीद कार्यक्रमों के कारण भी मुद्रा की कीमतों पर प्रभाव पड़ता है।
- ध्यातव्य है कि 2011 और 2015 के बीच स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) ने स्विस फ्रैंक को निर्धारित अधिकतम सीमा तक रोकने हेतु सार्वजनिक रूप से मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप करने की घोषणा की थी।
- अतः आरबीआई द्वारा मुद्रा बाज़ार में किये जा रहे रक्षोपाय उचित प्रतीत होते हैं एवं जो उभरते बाज़ार पूंजी आगतों के समय रिज़र्व तैयार करते हैं, उन्हें करेंसी मैनीपुलेटर (currency manipulator) नहीं माना जाना चाहिये।
- वे केवल इतिहास से सीखने की कोशिश कर रहे हैं और अपने भविष्य की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं।.... STUDY FOR IAS Preparation group....by.... ÃJIT PáNDEY...
कॉर्पोरेट और विरासत
भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज
(खंड-1 : भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कॉर्पोरेट समूह डालमिया ने भारत में ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ (Adopt a Heritage) योजना के तहत दिल्ली स्थित लाल किला तथा आंध्र प्रदेश के कदपा ज़िला स्थित गंदिकोटा किला को गोद लिया है।
‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ (Adopt a Heritage) पर्यटन मंत्रालय द्वारा विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर 27 सितंबर, 2017 को ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ की शुरुआत की गई थी। यह भारतीय पर्यटन मंत्रालय, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग तथा राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के मध्य पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु शुरू की गई एक सहयोगी योजना है। इसमें हमारे समृद्ध और विविध विरासत स्मारकों को पर्यटन मैत्री बनाने की क्षमता है। यह योजना भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) के प्रमुख स्मारकों में शुरू की गई है, जिसके तहत अभी तक देश के 95 स्मारकों को शामिल किया जा चुका है। |
प्रमुख बिंदु
- इस योजना के तहत अगले पाँच साल तक डालमिया, भारत में इन विरासत स्थलों में बुनियादी एवं आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने के साथ-साथ इनके संचालन तथा रख-रखाव की ज़िम्मेदारी भी निभाएगा।
- इस समझौते के तहत डालमिया भारत, छह महीने के भीतर लाल किला में ज़रूरी सुविधाएँ जैसे- एप बेस्ड गाइड, डिजिटल स्क्रीनिंग, फ्री वाईफाई, डिजिटल इंटरैक्टिव कियोस्क, पानी की सुविधा, टेक्टाइल मैप, रास्तों पर लाइटिंग, बैटरी से चलने वाले वाहन, चार्जिंग स्टेशन, सर्विलांस सिस्टम आदि उपलब्ध कराएगा।
- कंपनी सीएसआर इनिशिएटिव यानी कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने के माध्यम से इनका रख-रखाव करने और पर्यटकों के लिये शौचालय, पीने का पानी, रोशनी की व्यवस्था करने और क्लॉकरूम आदि बनवाने के लिये लगभग 5 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च करेगी।
- हालाँकि एडॉप्ट ए हेरिटेज की वेबसाइट पर अनुपालन दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि यदि कंपनी भारत के पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती है तो पाँच वर्ष का अनुबंध समाप्त किया जा सकता है।
भारत के पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI)
दिल्ली का लाल किला
ALL the best all aspirant....dear good luck .....by..... ÃJIT PáNDEY... STUDY FOR IAS Preparation group... https://chat.whatsapp.com/14YwLVXt0DNFlPnCzomnBo |
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