कोरोनल होल का संबंध सौर तूफान से है। सूर्य की सतह पर बड़े पैमाने के विस्फोट होते हैं, जिसके दौरान कुछ हिस्से बेहद चमकीले प्रकाश के साथ असीम ऊर्जा छोड़ते हैं जिसे सन फ्लेयर कहा जाता है। सूर्य की सतह पर होने वाले इस विस्फोट से उसकी सतह से बड़ी मात्रा में चुंबकीय ऊर्जा निकलती है, जिससे सूरज के कोरोना (सूर्य की सतह का बाहरी परत) का कुछ हिस्सा खुल जाता है। इससे ऊर्जा बाहर की ओर निकलती है, जो आग की लपटों की तरह दिखाई देती है। ये असीम ऊर्जा लगातार कई दिनों तक निकलती रहे तो इससे अति सूक्ष्म न्यूक्लियर पार्टिकल भी निकलते है। यह कण पूरी ऊर्जा के साथ ब्रह्मांड में फैल जाते हैं। जिसे सौर तूफान कहा जाता है। इस ऊर्जा में जबरदस्त न्यूक्लियर रेडिएशन होता है, जो इसे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार सौर तूफान से धरती पर कुछ समय के लिए ब्लैकआउट की स्थिति बन सकती है तथा उपग्रह आधारित सेवाएँ जैसे- मोबाइल, केबल नेटवर्क, जीपीएस नैविगेशन प्रभावित हो जाते हैं। इसके अलावा जीवों पर रेडिएशन के खतरे की भी आशंका रहती है।
सौर तूफान के दौरान धरती के नॉर्थ और साउथ पोल में तेज रोशनी नजर आती है।
सौर तूफान सूर्य की सतह पर आए क्षणिक बदलाव से उत्त्पन्न होते हैं। नेशनल ओशन एंड एटमॉस्फियर एसोसिएशन द्वारा इन्हें पाँच श्रेणी जी-1, जी-2, जी-3, जी-4 और जी-5 में बांटा गया है। इनमें जी-5 श्रेणी का तूफान सबसे खतरनाक होता है
Question--2--हाल ही में वैज्ञानिकों ने दावा किया है पृथ्वी पर पाया जाने वाला सबसे दुर्लभ वानर प्रजाति “तपनुली ओरंगुटन” विलुप्त होने की कगार है। वानरो की यह प्रजाति कहाँ पाई जाती है?
A)
चीन
B)
भारत
C)
नेपाल
D)
इंडोनेशिया✔️✔️✔️✔️
तपनुली ओरंगुटन (Tapnulee orangutan)
हाल ही में पर्यावरणीय वैज्ञानिकों ने कहा है कि, पृथ्वी पर पाया जाने वाला सबसे दुर्लभ वानर प्रजाति तपनुली ओरंगुटन विलुप्त होने की कगार पर है। वर्तमान समय में तपनुली ओरंगुटन प्रजाति के 800 से भी कम सदस्य जीवित हैं।
इस प्रजाति की खोज सुमात्रा, इंडोनेशिया में 2017 में हुई थी।
वानरों की यह प्रजाति इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर बटांग तोरू वन में रहती है। तपनुली ओरंगुटन (पोंगो तपनुलियेंसिस) इंडोनेशिया में सुमात्रा द्वीप में दक्षिण तपनुली के मूल निवासी ओरंगुटान की प्रजाति है। ये दुनिया के सबसे लुप्तप्राय ‘ग्रेट एप’ हैं।
उनके लिए एक बड़ा खतरा एक चीनी राज्य के स्वामित्व वाली निगम द्वारा निर्मित होने वाली 1.6 बिलियन बड़ी बांध परियोजना है साथ ही वनों की कटाई, सड़क निर्माण और शिकार के कारण भी ये खतरे में हैं।
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